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Sunday, 17 November 2024

Two Unique Migrations

TWO UNIQUE MIGRATIONS
The two unique migrations in my life
Criss-crossing each other at the same time
The migration of my dear ones
Very close to my heart and mind.

My daughter’s diaspora to a new destination
Ready to fly high: starting new phase of her life
to a far-off domicile, all alone in foreign land.
But am sure, she will soon have her feet grounded well
In unknown environs, with two little diamonds by her side
she will soar high and high in life and make me proud
My heart bestows her with loads of good wishes and 
countless blessings for her new beginnings and new life.

My mother, at the same time, ready for her final journey
Leaving even a greater void in my life
With no one left to turn for guidance
With no one left for asking me to visit her
With no one left to be worried about my meals, 
my diet and my struggles of life.
As I stare her, engulfed in pipes, cylinders of oxygen
I think- Is she the same ? 
The pillar of strength for all, is struggling
to find a pound of power for self
to sustain the harsh realities of old age.

Both these women, very special to me
are placed in my heart till eternity.
The younger one, I thought to have raised the best
is teaching me new lessons everyday 
with her sheer grit & determination.
And the older one still educating me
to face the cold hard facts of life
With patience and perseverance
And to take life as it comes.

As I stand on the dilemma of life
I have learnt to let the life take its own course 
And flow with the flow
And bow before the one Supreme power              
which dictates the terms of our life.
Taking life as it comes- taking life as it comes               

By - Anju Gupta : A mother & a daughter

यह जिंदगी क्या है

यह जिंदगी क्या है
किसी की खिल खिलाती हंसी
जो हमारे जीवन में रंग भर देती है
या किसी की सिसकियां जो
हमारे जीवन में अंधेरा कर देती हैं
हंसते रहिए साथियों और सबका जीवन
रंगीन करते रहिए।

यह ज़िंदगी क्या है , एक कार का पहिया
जो घुमा कर हमें वहीं ला कर खड़ा कर देता है 
जहां से हमारा सफर शुरू हुआ था
तभी तो कहते हैं  बच्चा बूढ़ा एक समान।

यह जिंदगी क्या है एक ताश का पत्ता 
जो हमें कभी हरा देता है तो कभी जिता देता है
सारा एक पत्ते का ही तो खेल है जनाब
ध्यान से पत्ते खोलिए मित्रों,अपने जीवन के।

यह जिंदगी एक पतंग है, जितना भी ऊपर जाओगे
एक दिन कट कर नीचे जरूर आओगे
अपने जीवन की डोर को सोच समझ के उड़ाओगे 
तो जीवन की मार से बच जाओगे।

यह जिंदगी एक साइकिल का पेडल है
जो हमें दूर तक ले तो जाता है पर 
जैसे ही हम भगाने लगते हैं 
पेडल की चैन उतर जाती है और 
थम जाती है जिंदगी हमारी
ध्यान से भागिए दोस्तों, आपके इंतजार में है खड़े , 
आपके ही रास्ते के तमाम पत्थर और कंकड़। 

यह जिंदगी क्या है एक  इम्तिहान जिसके लिए
हम सब दिन रात मेहनत करते हैं
पर जिंदगी तो बंधुओं अपनी ही धुन में चलती है
बलखाती हुई , इठलाती हुई और कितने ही दिलों को
जलाती हुई ।

हम सब तो इसके हाथ की पुतलियां हैं 
सुख दुख तो साथी हैं
दोनो में खुश रहना सीख लोगे
तो जिंदगी के थपेड़ों से बच जाओगे
गर सुख के साथ दुख को भी गले लगाओगे 
तो हमेशा कदम आगे बढ़ाओ gey।



Saturday, 16 November 2024

लिफ्ट की कहनी

लिफ्ट की कहानी
ये लिफ्ट की सुनो कहानी, मेरी ही ज़ुबानी
मलटी सटोरी की है ये जान, पर खुद कितनी बेजान, सभी करते हैं इसका इंतजार
पर इसे नहीं है किसी से पयार!

किसी को सकूल, किसी को कालिज, किसी को आफिस है जाना, हर किसी को है जल्दी बटन दबाना! पर चलती है अपनी दम से ये, रूक रूक कर हर मंज़िल पे, ये है सचमुच सब की जान, ए लिफ्ट, तूं तो है बड़ी महान!
आओ देखें अब अंदर का नज़ारा, जो खुशी से बेजान है बेचारा, लिपट में सभी कंधे से कंधा मिलाए खड़े पर फिर भी है एक दूसरे से मीलों परे! न नमस्ते, न गुड मॉर्निंग, न दुआ न सलाम, जैसे सब हैं एक दूसरे से अंजान
रोबोट  की तरह लगें हैं फोन पे, कोई वाटसऐप पे तो कोई फेसबुक पे ! सबकी सांसे देती है सुनाई, लेकिन उंगलियाँ चलतीं keypad पर भाई ! बात न चीत कोई करे, अपनी ज़िंदगी में सब मस्त खड़े!
टामी  ने है सबक सिखाया, पूंछ हिलाकर हमें समझाया, मिलजुल करके रहते जाओ, सुख-दुख सांझा करते जाओ! ये 5 मिनट बहुत हैं नयारे, दोस्ती कर लो एक दूजे से पयारे!
मशीनों में रहकर मशीन न बनो, इंसानों की तरह एक दूजे से मिलो, कुछ अपनी कहो, कुछ दूसरे की सुनो,
चार दिन की ज़िन्दगी में कर लो मज़े जीवन भर के, हंस कर हंसा कर बातें बनाकर, एक दूसरे से मिल लो भाई, दोस्त हों, पड़ौसी हों, चाची हो यां हो ताई!
अपनी उंगलियों को फोन से हटाकर, ज़िंदगी को देखो "मैं" का परदा  गिराकर, होली है भाई, हैलो तो कर लो, लिपट में ही सबका मूड लिपट कर दो!
ये लिफ्ट की सुनो कहानी, मेरी ही ज़ुबानी-2
लिफ्ट की कहानी
ये लिफ्ट की सुनो कहानी, मेरी ही ज़ुबानी
मलटी सटोरी की है ये जान, पर खुद कितनी बेजान, सभी करते हैं इसका इंतजार
पर इसे नहीं है किसी से पयार!

किसी को सकूल, किसी को कालिज, किसी को आफिस है जाना, हर किसी को है जल्दी बटन दबाना! पर चलती है अपनी दम से ये, रूक रूक कर हर मंज़िल पे, ये है सचमुच सब की जान, ए लिफ्ट, तूं तो है बड़ी महान!
आओ देखें अब अंदर का नज़ारा, जो खुशी से बेजान है बेचारा, लिपट में सभी कंधे से कंधा मिलाए खड़े पर फिर भी है एक दूसरे से मीलों परे! न नमस्ते, न गुड मॉर्निंग, न दुआ न सलाम, जैसे सब हैं एक दूसरे से अंजान
रोबोट  की तरह लगें हैं फोन पे, कोई वाटसऐप पे तो कोई फेसबुक पे 

रावण से रूबरू

दशहरे की खुशियों से मैं भाव विभोर हो  गई
शाम को तैयार हो कर मैं रावण दहन देखने पहुंच गयी
बड़े बड़े तीन पुतले देखे - रावण, कुंभकारां और मेघनाथ के
सोचा इनसे कुछ बात करूँ पहले इनके जलने से 
क्योंकि नाराज बहुत थी मैं तीनो से

सबसे पहले पूछा  मेघनाथ से 
"क्यों भाई, रावण का क्यों दिया साथ गलत
लक्ष्मण को बेहोश कर क्यों बुलाई अपनी आफत? 
अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं किया तुमने 
रावण के कहने से पहुँच गए तुम लड़ने। 

मेघनाथ बोला, " ये सोच तुम्हारी अपनी है अजी
मैंने तो अपने भाई का साथ दिया जो मेरा फ़र्ज़ था जी
धर्म ने हमे ये ही सिखाया हमेशा से
जो भूल बैठा है आज का इंसान आराम से
बन बैठा है भाई भाई का दुश्मन दौलत के पीछे
लाज नहीं आती आज मानव को, कैसे हटे पीछे

"भाई से भाई लड़े, कैसा हुआ अंधेर, समझेंगे दोनों मगर, हो जायेगी देर, ज़हर भरे सहन किए मैंने सारे तीर, खड़ा रहा मैं डटकर, , समझ भाई की पीर"

मिलेगा आज आपको ऐसा उदाहरण कहाँ 
फ़िर भी मुझे ही जलाते तुम हर साल यहाँ। 
सुन कर मैं तो एक दम चुप हो गयी
सही तो कहा उसने, आज दुश्मनी  मानवता
 पर हावी हो गयी

चुपचाप फिर मैंने कुंभकारां से पूछा "तुम  तो थे समझदार 
क्यों भागे आये युध् के मैदान, कर के अपनी नींद बेकार
" भाई, मैं तो वैसे ही आधी नींद में था, बड़ी मुश्किल से उठाया गया ,जो मुझे कहा गया, मैं करता गया । 
अपने मनमोहन भाई  भी तो थे, जो कहा जाता था वही करते रहते थे। 
और हाँ, आप तो भाई भाई मत ही कीजिए 
है ही कहाँ आज भाईयों में प्यार, 
जो हमारे ज़माने में था बेशुमार। 

"बचे कहाँ अब शेष हैं दया, धर्म, ईमान, 
 भाई है जानी दुश्मन, पतथ्थर् दिल इंसान "
सुनकर बात कुंभकरण की, मुँह हो गया मेरा बंद
भागी मैं रावण की ओर, दुम दबाकर तुरंत

"क्यों भाई रावण जी, सुंदर इतनी पत्नी घर में, 
क्यों फिर किया नैन  मटटका  लंका में
घर नारी त्याग कर, पर नारी पर नज़र क्यों डाली
कुछ  सोचा न समझा, रति भी भी शर्म न आयी
"पर �

दूरियां सिखाती है नजदीकियों की कीमत


 दूरियाँ सिखाती हैं नज़दीकियों की कींमत
नज़दीकियां तो दूरियाँ लाती हैं  जनाब  

पूछीये उन मा बाप से जिहोने अपने बच्चे भेजे विदेश पढ़ने को, डांटते थे जिन्हें वो रात प्रभात, बैठे रहतें हैं उनसे बात करने को अब वो आधी आधी रात 
दूरियाँ सिखाती हैं नज़दीकियों की कींमत...... 

पूछीये उस बेटी से जो बहु बंनकर ससुराल चली गयी
माँ के हाथ का खाना जो नकारती थी बार बार
आज तरसती है उसी खाने को दिन रात

और पूछीये उस बेटे से जो नौकरी करने चला गया दूसरे शहर
मा बाप की हर बात पे पाँव पटकता था जो कभी हो कर बोर
 झुक कर उनके ही पाँव छूना चाहता है आज वो होकर भाव विभोर

यही नही पूछीये उन स्कूल के बच्चों से, जो जानी दुश्मन थे एक दूजे के, खून पीने को आकुल, आज फेसबुक, इंस्टाग्राम पे ढूँढते हैं उन्ही दोस्तों को होकर व्याकुल। देश हो यां विदेश, ढेरों ग्रुप बने हैं alumni के नाम पे , एक अजीब सा रिश्ता ढूँढ रहे हैं आज वे सब मिलकर के। 

पूछीये आज अपने दिलों से, वो जो चले गए हैं बहुत दूर हमसे, जिनके पास बैठने का वक़्त नहीं था हमारे पास कसम से, आज उन्हे याद करतें हैं हम हर दम,  दुख हो या दर्द, खुशी हो या गम
दूरियाँ सिखाती हैं नज़दीकियों की कीमत
नज़दीकियां तो दूरियाँ लातीं है जनाब

चाय की टपरी

और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
कि शहर के हर चौराहे पर,
हर  नुक्कड़ पर....
चाय की एक टपरी
औरतों के लिए भी होनी चाहिए
जहाँ खड़ी हो कर कभी अपने बच्चों के संग
कभी अपनी सहेलियों के संग
तो कभी अपने प्रेमी के संग, 
खुल कर हंस सकें, ठहाके लगा सकें । 

और साझा कर पाएं 
अपने हसीन रातों के किस्से
वह अठखेलियां, 
वो रूठना और प्यार से मनाना
फिर अपने पति के साथ नोक झोंक
उनकी नौकरी की परेशानियां...
घर-घर के वो नित नए किस्से 
बयान कर दे, और
नज़रंदाज़ कर दिए गये वो ढेरों ताने
जो सालों से वह सुनती आ रही है
चुपचाप दिल में रखे हुए।

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
कि शहर के हर चौराहे पर,
हर एक नुक्कड़ पर....
चाय की एक टपरी
औरतों के लिए भी होनी चाहिए
जहां वह सुना सके 
अपने आशिकों की कहानियां
जो सुबह शाम आगे पीछे घूमते थे
दिल अपना हथेली पर ले कर
वो सुहाने दिन और शाम की मस्तियां 
मां के घर में दिन भर सुस्ताना
और कॉलेज में मस्ताना 

एक ऐसी चाय की टपरी, जहां 
देश की इकॉनमी पर अपने विचार रख सके
चर्चा  कर सके वायरल हुए जोक और मीम्स पर
और वो सब कुछ बयान कर दे जो
 उनके मन की चारदीवारी में सालों से बंद है। 
एक पल में सारी मायूसी लापता हो जाये। 

चाय की चुस्कियों की मिठास में वो गुम हो जाये...
बेटी के मेडिकल एंट्रेंस की चिंता,
नौकरीपेशा बेटे के लिए
अपनी जैसी हूबहू बहु ढूंढने का सपना। 
बंद हो जाये सारे सवाल..
इतनी देर कैसे हो गयी,
इतनी देर कहाँ रह गयी,
घर का कुछ ध्यान है या नहीं
ये कैसे कपड़े पहने हैं? 
ढंग से तैयार हो कर कयों नहीं गई? 
जैसे अनगिनत सवालों का गूंजना

और सबसे बड़ा सवाल
कि ''आज खाने में क्या पकेगा?''
इन सब सवालों से
कुछ पल के लिए ही सही...
मिल जाये मुक्ति
औरतें अपने सारे फ़िक्र, सारी परेशानियां
पास पड़े कूड़े के डब्बे में फेंक दें
और मुस्कुराते हुए कहें...
चल यार! कल मिलते हैं
इसी समय, अपने इसी चाय की टपरी पर...
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं। 


ज़िंदगी क्या है

यह जिंदगी क्या है
किसी की खिल खिलाती हंसी
जो हमारे जीवन में रंग भर देती है
या किसी की सिसकियां जो
हमारे जीवन में अंधेरा कर देती हैं
हंसते रहिए साथियों और सबका जीवन
रंगीन करते रहिए।

यह ज़िंदगी क्या है , एक कार का पहिया
जो घुमा कर हमें वहीं ला कर खड़ा कर देता है
जहां से हमारा सफर शुरू हुआ था
तभी तो कहते हैं  बच्चा बूढ़ा एक समान।

यह जिंदगी क्या है एक ताश का पत्ता
जो हमें कभी हरा देता है तो कभी जिता देता है
सारा एक पत्ते का ही तो खेल है जनाब
ध्यान से पत्ते खोलिए मित्रों,अपने जीवन के।

यह जिंदगी एक पतंग है, जितना भी ऊपर जाओगे
एक दिन कट कर नीचे जरूर आओगे
अपने जीवन की डोर को सोच समझ के उड़ाओगे
तो जीवन की मार से बच जाओगे।

यह जिंदगी एक साइकिल का पेडल है
जो हमें दूर तक ले तो जाता है पर
जैसे ही हम भगाने लगते हैं
पेडल की चैन उतर जाती है और
थम जाती है जिंदगी हमारी
ध्यान से भागिए दोस्तों, आपके इंतजार में है खड़े ,
आपके ही रास्ते के तमाम पत्थर और कंकड़।

यह जिंदगी क्या है एक  इम्तिहान जिसके लिए
हम सब दिन रात मेहनत करते हैं
पर जिंदगी तो बंधुओं अपनी ही धुन में चलती है
बलखाती हुई , इठलाती हुई और कितने ही दिलों को
जलाती हुई ।

हम सब तो इसके हाथ की पुतलियां हैं
सुख दुख तो साथी हैं
दोनो में खुश रहना सीख लोगे
तो जिंदगी के थपेड़ों से बच जाओगे
गर सुख के साथ दुख को भी गले लगाओगे
तो हमेशा कदम आगे बढ़ाओ gey।



ANJU GUPTA
Educationist & Mentor,
  Blogger, Change-facilitator, Writer, Innovation Igniter, Social Influencer & 
SDG Activist


                                                                      Twitter: https://twitter.com/gupta_anju9


Ms. Anju Gupta is having more than 20 years of professional experience working at various levels of the School, a vast experience of curriculum handling and administrative exposure at primary and middle level.


Cultivator of Self – I am learner at heart. I energize, learn, unlearn and relearn and am energy multiplier generating positive energy all around. I keep myself updated about the latest developments in the field of education. I reinvent in following ways-
·       Me as a Learner - I have done many on-line courses from MOOC’s Coursera & Microsoft. I am a certified Microsoft Innovative Educator.
·       Me as a Researcher - My experience of heading Primary Section called for Action Research on the topic “Which system is more suitable for Grade III – Single teacher system or multiple teacher system?” I completed this Action Research with high commendation.
·       Me as a Writer – My education-based articles are being published regularly in print and media form.
i)          ‘Edubench Magazine’- Traditional vs the Digital Literacy, Coping with Exam-Related Stress
ii)        ‘Brainfeed Magazine’ – When Students Don Teacher’s Role, Blending the Learning Processes.
iii)        ‘Mansha Vision India’ (Electronic Media)- Professional Spiritualism, Dear Stress - Let's Be Friends, Digital Discipline is key to Success to Digital Age.
iv)         Peeper Times’ (Electronic Media) – Let’s Say No To Heavy School Bags.
v)           Story Mirror (Electronic Media) – From Mohan to Mahatma (Poem)

Recognitions –
1.     ‘Best Author Award’ for the Article “Professional Spiritualism” in Dr. Kalam International Vision India Reader from ‘Mansha Vision’ – A Hyderabad based Educational, Cultural, Social Welfare Society.
2.     ‘Best Educationist and Best Leadership Award’ from ‘Mansha Vision’ – A Hyderabad based Educational, Cultural, Social Welfare Society.
3.     ‘Best Section Award’ by Ahlcon International School for Innovative Strategies being followed in Primary Section.
4.     “Hindi Saarthi” by Hindi Vikas Manch for promoting the use of Hindi language amongst students and teachers.
5.     “Long Term Economy Educator” for commitment in enhancing children to think with a long-term perspective mind in the framework of “Long Term Thinking Education Project.”